बस्तर : छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक बेटा अपने पिता के अंतिम संस्कार की इजाजत के लिए सरकारी दफ्तरों से लेकर अदालत तक के चक्कर काटता रहा। रमेश बघेल अपने पिता के शव को 15 दिनों से मॉर्चरी में रखे हुए थे, लेकिन उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा था।
ईसाई धर्म के कारण संघर्ष
रमेश का आरोप है कि उनके पिता के अंतिम संस्कार की अनुमति गांव के ग्रामीणों ने नहीं दी, क्योंकि वे ईसाई धर्म से संबंधित थे। गांव में ईसाई समुदाय के लिए अलग कब्रिस्तान न होने के कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ। रमेश ने स्थानीय प्रशासन, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामले को उठाया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, “हमें बहुत दुख है कि एक व्यक्ति को अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।” कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को पर्याप्त सुरक्षा देने का निर्देश देते हुए कहा कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए निर्धारित स्थान पर दफनाया जाए।
सामाजिक सौहार्द और न्याय की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मामले में सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि भाईचारा बढ़ाना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। कोर्ट का मानना था कि इस मुद्दे को सहमति से सुलझाना अधिक उचित होगा।